*संवाददाता- सौरभ साहू*
*दिनांक,1/09/2025*
*लोकेशन, ओड़गी ब्लाक, जिला सूरजपुर छत्तीसगढ़*
सूरजपुर ओड़गी ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों में सरंपच, जनप्रतिनिधियों से बड़े अपने आपको बड़ा समझने वाले सचिवों के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर धौंस दिखाने वाले सचिवों में एक मामला सूत्रों के अनुसार आपको बता दें कि ग्राम पंचायत अवंतिकापुर इन दिनों पंचायत सचिव की दबंगई और मनमानी का शिकार हो गई है। हालात ऐसे हैं कि निर्वाचित सरपंच, उपसरपंच और पंचों सहित पूरा गांव त्रस्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव पंचायत को निजी हितों का अड्डा बनाकर अपने चहेते व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने में जुटा है। इसके चलते गांव में चल रहे विकास कार्य ठप पड़ गए हैं और जनप्रतिनिधि बेबस नजर आ रहे हैं।
फर्जी भुगतान और दबाव के आरोप, ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि सचिव पूर्व कार्यकाल के कामों का फर्जी और ज्यादा भुगतान दिखाकर वर्तमान प्रतिनिधियों पर दबाव बना रहा है। एक मामले में सचिव ने रिकॉर्ड में पहले से दर्ज ₹1,12,000 के भुगतान के बावजूद उसी काम का बकाया ₹2,67,000 बताकर गुमराह करने की कोशिश की। इससे जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है।
नियमों के बावजूद रोका गया भुगतान
जुलाई माह में उपसरपंच द्वारा इंजीनियर से एस्टीमेट बनवाकर दो नहानी घरों का निर्माण कराया गया, जिस पर एसडीओ स्तर से टेक्निकल सैंक्शन (टीएस) भी मिल चुका है। नियमानुसार आधे भुगतान की पात्रता बनने के बावजूद सचिव ने राशि रोक दी है। आरोप है कि सचिव ने शर्त रखी है कि जब तक उसके पसंदीदा व्यक्ति को काम नहीं दिया जाएगा, तब तक सरपंच और उपसरपंच के किसी भी कार्य का भुगतान जारी नहीं किया जाएगा।
चहेते व्यक्ति को फेवर करने का दबाव,ग्रामीणों का कहना है कि सचिव एक ऐसे व्यक्ति को फेवर करने की जिद पर अड़ा है जो न तो निर्वाचित प्रतिनिधि है और न ही पंचायत से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इसके बावजूद सचिव जनप्रतिनिधियों को खुलेआम धमकी दे रहा है – “गरीब सरपंच-उपसरपंच उद्योगपति नहीं बन सकते, इसलिए काम चहेते व्यक्ति को सौंप दो।”
अधूरे काम और अटकी फाइलें
सचिव की मनमानी का असर गांव के विकास पर साफ दिखाई दे रहा है। सरपंच द्वारा कराए गए सड़क मरम्मत और पाइप पुलिया जैसे कई कार्य भुगतान के इंतजार में अधर में लटके हुए हैं। सचिव न तो पंचायत से जुड़े आवश्यक दस्तावेज तैयार कर रहा है और न ही नियमों के मुताबिक निर्वाचित प्रतिनिधियों को सहयोग दे रहा है। उल्टा वह नियम-कानून का डर दिखाकर काम रोकने की कोशिश कर रहा है।
लोकतंत्र और नियमों की अवहेलना
पंचायत राज अधिनियम स्पष्ट करता है कि सचिव का काम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की सहायता करना और उनके प्रति जवाबदेह रहना है। लेकिन अवंतिकापुर में स्थिति बिल्कुल उलट है। सचिव की कार्यशैली न केवल लोक सेवक आचरण नियमों के खिलाफ है बल्कि यह भ्रष्टाचार और तानाशाही को बढ़ावा देने वाला कदम है, जिससे लोकतंत्र की जड़ें कमजोर हो रही हैं।
ग्रामीणों की प्रशासन से गुहार
संपूर्ण घटनाक्रम से परेशान सरपंच, उपसरपंच, पंच और ग्रामीण अब जिला प्रशासन की ओर उम्मीद लगाए बैठे हैं। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो पंचायत का विकास पूरी तरह ठप हो जाएगा और ग्रामीणों की समस्याएं और बढ़ेंगी। ग्रामीणों का सवाल है कि क्या प्रशासन सचिव की मनमानी पर अंकुश लगाएगा या फिर अवंतिकापुर की आवाज यूं ही अनसुनी रह जाएगी?
यह खबर प्रशासनिक लापरवाही और पंचायत स्तर पर बढ़ते भ्रष्टाचार की ओर गंभीर इशारा कर रही है। ग्रामीणों की मांग है कि दोषी सचिव पर कठोर कार्रवाई कर विकास कार्यों को पटरी पर लाया जाए।

Alok Kumar Srivastava serves as the Chief Editor of Prabhat Darshan, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering political affairs, social issues, and regional developments.