दिल्ली: भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि भारत में युद्ध में जीत का पैमाना हमेशा से जमीन पर कब्जा रहा है और भविष्य में भी यही रहेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युद्ध में भले ही तकनीक की भूमिका बढ़ गई हो, लेकिन इसमें थल सेना की भूमिका हमेशा अहम रहेगी। उन्होंने युद्ध की तुलना एक टेस्ट मैच से करते हुए कहा कि यह सिर्फ 4 दिनों का खेल नहीं है, बल्कि एक लंबी और थका देने वाली प्रक्रिया है।
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जनरल पांडे मंगलवार को एक थिंक टैंक द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “भारत में हमारे ऐतिहासिक अनुभव और भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, युद्ध में अंतिम निर्णायक तत्व ‘जमीन पर नियंत्रण’ ही रहा है। यह बात हमारे अतीत के युद्धों में भी साबित हुई है और भविष्य में भी यही सत्य रहेगा।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भविष्य के युद्धों में वायुसेना और नौसेना के साथ-साथ थल सेना का रोल और भी महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, “भले ही ड्रोन, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष आधारित हथियारों का इस्तेमाल बढ़ रहा हो, लेकिन दुश्मन को पीछे धकेलने और उसकी जमीन पर कब्जा करने के लिए सैनिकों को ही आगे बढ़ना पड़ता है। यह काम कोई तकनीक नहीं कर सकती।”
सेना प्रमुख ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि युद्ध को सिर्फ कुछ दिनों की लड़ाई के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “युद्ध कोई 4 दिन का टेस्ट मैच नहीं है। यह एक लंबी और थका देने वाली प्रक्रिया है, जिसमें हर सैनिक को अपनी पूरी ताकत लगानी होती है। इसमें मनोबल, दृढ़ता और धैर्य सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।”
जनरल पांडे ने भारतीय सेना की तैयारियों पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि सेना आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने सेना में चल रहे आधुनिकीकरण और नई तकनीक को अपनाने के प्रयासों की भी सराहना की।