शुभांशु शुक्ला एक्सिऑम-4 मिशन: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला तीन अन्य चालक दल के सदस्य अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं। भारतीय समय के अनुसार, दोपहर 12 बजकर एक मिनट पर मिशन को लांच किया जाना है। लांच की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गुरुवार शाम चार बजकर 30 मिनट पर डॉकिंग की टाइमिंग है।
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अंतरिक्ष यात्री क्रू ड्रैगन कैप्सूल में बैठ चुके हैं
ताजा जानकारी के अनुसार, मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन, पायलेट शुभांशु शुक्ला सहित चारों अंतरिक्ष यात्री क्रू ड्रैगन कैप्सूल में बैठ चुके हैं। फिलहाल मिशन रेडिनेस को लेकर अंतिम जांच को अंजाम दिया जा रहा है। अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने से पहले फॉल्कन 9 रॉकेट और स्पेस केप्सूल के हर पैरामीटर की जांच की जा रही है। रॉकेट के ईंधन की बारीकी से जांच की जा रही है।
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क्या है डॉकिंग की टाइमिंग
फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के मिशन कॉम्प्लेक्स 39ए से उड़ान भरेगा। कंपनी के फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च होने के बाद चालक दल एक नए स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर परिक्रमा प्रयोगशाला की यात्रा करेगा। नासा ने एक बयान में कहा कि मिशन की डॉकिंग समय गुरुवार, 26 जून को भारतीय मानक समय के अनुसार शाम 4.30 बजे है।
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिऑम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान के निदेशक पैगी व्हिटसन मिशन की कमान संभालेंगे, जबकि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे। दो मिशन विशेषज्ञ हैं – पोलैंड के ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) परियोजना अंतरिक्ष यात्री स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के एचयूएनओआर (हंगेरियन टू ऑर्बिट) अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू।
स्पेस डॉकिंग क्या है
डॉकिंग तब होती है जब कोई अंतरिक्ष यान खुद को अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ता है। अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब उपयोगी होती है जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट अंतरिक्ष में लॉन्च किए जाते हैं। अंतरिक्ष डॉकिंग तेज स्पीड से चलने वाले अंतरिक्ष यान को एक ही कक्षा में लाकर पास लाने और एकसाथ जोड़ने की जटिल प्रक्रिया है। बता दें कि शुभांशु शुक्ला लगभग 40 साल बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन रहें हैं। इसके पहले राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी।