नई दिल्ली। आज के समय में ट्रेंड हर जगह हैं—चाहे फैशन हो, फूड हो, ट्रैवल हो या कल्चर। इन्वेस्टमेंट की दुनिया भी इससे अलग नहीं है। जैसे लाइफस्टाइल के ट्रेंड आते-जाते रहते हैं, वैसे ही निवेश के ट्रेंड या थीम्स भी चर्चा में आते हैं और फिर फीके पड़ जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक के लिए यह जरूरी है कि वे इन बदलावों पर सक्रिय नजर रखें और रणनीतिक एवं भावनात्मक दृष्टिकोण से सही समय पर निवेश में शामिल हों और बाहर निकलें। यह कदम अवसरों का लाभ उठाने और नुकसान से बचने में मदद कर सकता है।
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हालांकि, रिटेल निवेशकों के लिए लालच और डर जैसी भावनाओं पर काबू पाना अक्सर मुश्किल होता है। कई बार वे बहुत लंबे समय तक निवेशित रहते हैं या निवेश में देर कर देते हैं। उदाहरण के लिए, 1990 के दशक के अंत में टेक्नोलॉजी और इंटरनेट शेयर तेजी से ट्रेंड में आए। शुरुआती निवेशकों को अच्छा मुनाफा हुआ, लेकिन जैसे-जैसे निवेश बढ़ा, वैल्यूएशन फंडामेंटल्स से आगे बढ़ गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेंडिंग थीम्स में निवेश सही रणनीति और समय के साथ ही लाभकारी हो सकता है, अन्यथा जोखिम भी अधिक रहता है।