केंद्र सरकार ने अमेरिकी कपास के आयात पर लगने वाले 11% के शुल्क को हटा दिया है, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले को भारतीय किसानों के साथ “धोखा” बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि यह कदम घरेलू कपड़ा उद्योग को राहत देने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

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किसानों पर क्यों पड़ेगा असर?

अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि अमेरिकी कपास पर से शुल्क हटाने से यह भारतीय बाजार में 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम सस्ता हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों की नई कपास की फसल अक्टूबर से मंडियों में आना शुरू होगी, लेकिन तब तक टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमेरिका से सस्ता कपास आयात कर चुकी होगी। इससे भारतीय किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों में बेचनी पड़ेगी, जिससे उनका आर्थिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला अमेरिका के दबाव में लिया गया है।

केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार के मुताबिक, यह निर्णय भारतीय कपड़ा उद्योग को अमेरिकी टैरिफ से बचाने के लिए लिया गया है। अमेरिका ने भारतीय टेक्सटाइल उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है। इस कदम से भारत से अमेरिका को होने वाले वस्त्रों का निर्यात प्रभावित हो रहा था। सरकार का मानना है कि कपास पर आयात शुल्क हटाने से कच्चे माल की लागत कम होगी, जिससे निर्यातकों को अमेरिका के ऊंचे टैरिफ का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।

यह शुल्क 19 अगस्त से 30 सितंबर तक के लिए हटाया गया था, जिसे अब 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ा दिया गया है। सरकार का तर्क है कि इससे घरेलू बाजार में कपास की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

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Alok Kumar Srivastava
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