Children Sugar Consumption India: आजकल के बच्चों की डाइट में चीनी की मात्रा बहुत बढ़ गई है. रोजाना बिस्किट, चॉकलेट, पैकेज्ड जूस, मिठाइयां और कोल्ड ड्रिंक जैसे आइटम उनके खाने का हिस्सा बन चुके हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे हर दिन करीब 20–25 चम्मच तक चीनी खा रहे हैं. यह मात्रा WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) द्वारा तय की गई लिमिट से कहीं ज्यादा है. WHO की सलाह है कि रोजाना सिर्फ 5–6 चम्मच चीनी का सेवन ही सेहत के लिए ठीक है.

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बच्चों में बढ़ती इस चिंता को देखते हुए CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है. इसका नाम है – ‘शुगर बोर्ड’. इस पहल के तहत स्कूलों में बच्चों को यह बताया जाएगा कि ज्यादा चीनी खाना कैसे उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. स्कूलों में अब ‘शुगर अवेयरनेस’ यानी चीनी को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाएगी. बच्चों को यह सिखाया जाएगा कि किस फूड आइटम में कितनी चीनी छिपी होती है और कैसे हेल्दी विकल्प चुने जाएं.

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने किया सपोर्ट

इस पहल को IAP (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स) ने भी सपोर्ट किया है. डॉक्टरों का कहना है कि आजकल बच्चों में मोटापा, डायबिटीज, दांतों की सड़न और एनर्जी की कमी का एक बड़ा कारण ज्यादा चीनी सेवन है. IAP के मुताबिक, अगर बचपन से ही बच्चों को चीनी के खतरों के बारे में बताया जाए, तो वे आगे चलकर हेल्दी लाइफस्टाइल अपना सकते हैं.

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CBSE की ‘शुगर बोर्ड’ पहल का मकसद सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भी देखना है कि बच्चे क्या खा रहे हैं और उनका डाइट पैटर्न कैसा है. इस अभियान में स्कूल टीचर्स, पैरेंट्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स सभी को शामिल किया जाएगा.

क्यों जरूरी है चीनी पर कंट्रोल?

  • ज्यादा चीनी से मोटापा, डायबिटीज और फैटी लिवर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
  • बच्चों में फोकस और एनर्जी लेवल भी प्रभावित हो सकते हैं.
  • दांतों की सड़न और पेट की गड़बड़ी भी आम हो जाती है.

कैसे करें सुधार?

  • बच्चों को चॉकलेट और कैंडी की जगह फ्रूट्स देना शुरू करें.
  • पैक्ड ड्रिंक्स और सोडा की बजाय नींबू पानी या नारियल पानी दें.
  • लंच बॉक्स में हेल्दी स्नैक्स जैसे मखाना, खाखरा या सूखे मेवे शामिल करें.

इस तरह की पहल अगर देशभर के स्कूलों में ईमानदारी से लागू हो, तो बच्चों की सेहत में बड़ा सुधार हो सकता है। CBSE का यह कदम निश्चित ही एक सकारात्मक दिशा की ओर इशारा करता है.

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Alok Kumar Srivastava
Chief Editor

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