बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया जारी है। इस बीच राहुल गांधी की अगुआई में विपक्ष के नेताओं ने चुनाव में धांधली, मतदाता सूची में गड़बड़ी और वोट चोर के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को लेकर चुनाव आयोग रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ छह अन्य अधिकारी मौजूद थे। हालांकि, सभी सवालों के जवाब खुद मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिए। इस दौरान उनका जोर 15 दिन की विंडो पर था। उन्होंने कहा कि बिहार की मतदाता सूची में सुधार करने के लिए अभी भी 15 दिन का समय बचा हुआ है। चुनाव आयुक्त ने बार-बार सभी 12 राजनीतिक दलों और आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि इन 15 दिनों में बिहार की प्रारूप मतदाता सूची में कमियां बताएं और सही मतदाता सूची बनाने में मदद करें।
बारिश के मौसम में SIR क्यों?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि 2003 में भी बिहार में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन हुआ था। तब भी यह सफल था और इस बार भी एक महीने से कम समय में 7 करोड़ से ज्यादा लोगों के फॉर्म वापस मिल गए। मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया चुनाव से पहले की जानी चाहिए, न की चुनाव के बाद। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर की तारीख नए वोटर को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आधार मानी जा सकती है। 1 अक्तूबर की तारीख चुनाव के बेहद पास थी और अप्रैल दूर थी। ऐसे में जुलाई ही सटीक तारीख थी।
अचानक 22 लाख मतदाताओं की मौत कैसे?
चुनाव आयुक्त ने कहा कि हर साल वोटर लिस्ट अपडेट की जाती है, लेकिन तब घर-घर फॉर्म नहीं भेजे जाते हैं। ऐसे में किसी भी व्यक्ति का निधन होने की जानकारी बीएलओ को नहीं मिल पाती है और मतदाता सूची में उस व्यक्ति की मौत के बाद भी नाम जुड़ा रहता है। SIR में सबके घर फॉर्म भेजे जाते हैं। ऐसे में सही आंकड़े सामने आते हैं। इसी वजह से 22 लाख मृत लोगों की जानकारी मिली। इनकी मौत पहले हो चुकी थी, लेकिन वोटर लिस्ट से नाम अब काटा गया है।
राहुल गांधी से मांगा हलफनामा
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राहुल गांधी को अपने आरोपों पर सात दिन के अंदर हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उनके आरोपों को निराधार माना जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत करने के लिए 45 दिन का समय होता है। हालांकि, यह शिकायत उस निर्वाचन क्षेत्र का व्यक्ति ही कर सकता है। इसके लिए फॉर्म 6 भरना होता है। 45 दिन के बाद शिकायत करने पर आरोप लगाने वाले व्यक्ति को शपथ पत्र देना होता है। अन्यथा उसकी शिकायत को राजनीतिक बयान ही माना जाता है।
1.6 लाख बीएलओ ने तैयारी की सूची
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में एसआईआर की शुरुआत हो चुकी है। 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) ने एक मसौदा सूची तैयार की है। चूंकि यह मसौदा सूची हर बूथ पर तैयार की जा रही थी, इसलिए सभी राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों ने अपने हस्ताक्षरों से इसे सत्यापित किया। मतदाताओं ने कुल 28,370 दावे और आपत्तियां प्रस्तुत की हैं। जब इतने सारे लोग किसी प्रक्रिया में शामिल हैं तो वोट की चोरी कैसे संभव है।