मथुरा, देश को ऊर्जा देने वाली अग्रणी संस्था इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन इन दिनों अपने ही कर्मचारियों के तीखे विरोध और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की वजह से चर्चा में है। कर्मचारियों का यह आंदोलन पूरे देशभर में चल रहा है और मथुरा रिफाइनरी भी इससे अछूती नहीं रही। मथुरा रिफाइनरी कर्मचारी संघ के बैनरतले यहां भी 11 जून से भूख हड़ताल की शुरुआत की गई है।

कर्मचारियों का कहना है कि इंडियन ऑयल प्रबंधन ने हाल ही में 50-50 प्रमोशन पॉलिसी के तहत बैकलॉग समाप्त करने का जो निर्णय लिया है, वह पूरी तरह से एकतरफा और तानाशाहीपूर्ण है। यह फैसला इंडियन ऑयल के चेयरमैन ए. एस. साहनी की सहमति से और डायरेक्टर (एचआर) रश्मि गोविल की पहल पर लिया गया। इससे नाराज होकर कर्मचारी देशभर में विरोध पर उतर आए हैं।

मथुरा रिफाइनरी में भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे कर्मचारी संघ के महामंत्री रामकिशन, अध्यक्ष देवेन्द्र चौधरी, फतेह सिंह, हरीश पहल समेत कई पदाधिकारी व कर्मचारी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हैं। हालांकि स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों को राहत देने के उद्देश्य से मथुरा रिफाइनरी में यह भूख हड़ताल सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक सीमित रखी गई है, जबकि अन्य रिफाइनरियों में 24 घंटे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी है।

रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है और सूत्रों के अनुसार वे मौनव्रत धारण किए हुए हैं।

कर्मचारी संघ का कहना है कि जब तक प्रबंधन अपने निर्णय को वापस नहीं लेता और कर्मचारियों की मांगों को नहीं मानता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो इसका असर देश की ऊर्जा आपूर्ति पर भी पड़ सकता है।

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Alok Kumar Srivastava
Chief Editor

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