दुनिया भर में भारत का मान और गौरव बढ़ाने वाला पल आने वाला है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक्सिओम स्पेस के Ax-4 मिशन पर अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार हैं। इस मिशन के साथ भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान में फिर से कदम रखने जा रहा है। शुभांशु शुक्ला 10 जून की शाम भारतीय समयानुसार शाम 5:52 बजे स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होंगे। 11 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ेंगे। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन राकेश शर्मा की 1984 की ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाता है, जब राकेश शर्मा सोवियत संघ के साथ मिलकर अंतरिक्ष में गए थे। राकेश शर्मा पहले भारतीय थे जो अंतरिक्ष में गए थे।

शुभांशु ने ली है खास ट्रेनिंग

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन हैं और गगनयान कार्यक्रम के चार अंतरिक्ष यात्रियों में से भी एक हैं। शुक्ला को साल 2023 में अमेरिका की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Ax-4 मिशन के लिए चुना था। यह मिशन भारत और नासा के बीच सहयोग को दर्शाता है। शुभांशु ने स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस से खास ट्रेनिंग भी ली है।

उड़ान से पहले चालक दल ने किया रिहर्सल

शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने लॉन्च की पूरी तैयारी कर ली है। Ax-4 चालक दल और स्पेसएक्स टीमों ने प्रक्षेपण से पहले पूरा रिहर्सल किया है। इस दौरान  फाल्कन 9 रॉकेट का स्टैटिक फायर टेस्ट भी किया गया। स्टैटिक फायर टेस्ट से रॉकेट की जांच हो जाती है। Ax-4 मिशन 10 जून को फ्लोरिडा से लॉन्च होगा। यह NASA के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा।

Ax-4 मिशन के बारे में जानें

Ax-4 मिशन स्पेसएक्स का 53वां ड्रैगन मिशन है, जो 15वां मानव अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन में शुभांशु शुक्ला के अलावा तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी हैं। कमांडर पेगी व्हिटसन (अमेरिका), मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोस उज्नांस्की (पोलैंड) और मिशन स्पेशलिस्ट टिबोर कापू (हंगरी)। मिशन की शुरुआत पहले 8 जून को होनी थी लेकिन खराब मौसम और अंतरिक्ष यान की तैयारियों के चलते इसे 10 जून कर दिया गया। नासा और स्पेसएक्स की टीमों ने कहा कि यह बदलाव मौसम, फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान की परिवहन प्रक्रिया को ध्यान में रखकर किया गया है।

कई प्रयोग भी करेंगे शुभांशु

भारत ने इस मिशन पर अब तक करीब 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें लॉन्च के साथ-साथ शुभांशु शुक्ला और उनके बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर की ट्रेनिंग भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने के बाद शुभांशु कई प्रयोग भी करेंगे। इनमें ज्यादातर जैविक प्रयोग होंगे जैसे कि पौधों के बीज और मानव शरीर पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का असर।

शुभांशु शुक्ला के बारे में जानें

40 साल के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ से संबंध रखते हैं। उनके घर में उनके माता-पिता के अलावा दो बड़ी बहनें हैं। एक लखनऊ में टीचर हैं और दूसरी दिल्ली में रहती हैं। शुभांशु शुक्ला ने लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की अलीगंज ब्रांच से बारहवीं तक की पढ़ाई की है। उनके पिता का नाम शंभू दयाल शुक्ला और माता का नाम आशा शुक्ला है। उन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की परीक्षा दी और सफल रहे। 2005 में NDA से स्नातक होने के बाद, उन्होंने भारतीय वायुसेना में जून 2006 में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया।

वायुसेना में शुभांशु का करियर

शुभांशु शुक्ला एक अनुभवी टेस्ट पायलट और कॉम्बैट लीडर हैं, जिनके पास विभिन्न विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है। वह Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier 228 और An-32 उड़ा चुके हैं। उन्होंने 2019 में विंग कमांडर और मार्च 2024 में ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नति प्राप्त की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2019 में शुभांशु शुक्ला को भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए चयनित किया। उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एक वर्ष का कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

शुभांशु शुक्ला ने क्या कहा?

मिशन को लेकर शुभांशु शुक्ला ने कहा, ‘शुरुआत में मेरा सपना सिर्फ उड़ान भरना था लेकिन अंतरिक्ष यात्री बनने की राह बाद में खुली। मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे जीवन भर उड़ान भरने का अवसर मिला और फिर मुझे अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका मिला और आज मैं यहां हूं।’

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Alok Kumar Srivastava
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