मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर (जिन्हें यहां जस्टिस नाथ के नाम से जाना जाता है) ने हाल ही में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर एक दिलचस्प टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों ने इंदौर शहर को दुनिया भर में मशहूर कर दिया है और इस मामले में फैसला सुनाने के बाद उन्हें उन कुत्तों की दुआएं भी मिल रही हैं।
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यह टिप्पणी तब आई जब एक सुनवाई के दौरान आवारा कुत्तों के मुद्दे पर चर्चा हुई। जस्टिस नाथ ने हंसते हुए कहा कि उनके एक फैसले ने इस मुद्दे को इतना हाईलाइट किया कि लोग अब इंदौर को कुत्तों के कारण भी पहचानने लगे हैं। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “मुझे लगता है कि उन्हें (कुत्तों को) मेरा फैसला पसंद आया होगा, इसलिए उनकी दुआएं भी मिल रही हैं।”
10 दिन पहले सुनाया था फैसला
जस्टिस नाथ ने जिस फैसले का जिक्र किया, वह उन्होंने करीब 10 दिन पहले ही सुनाया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि आवारा कुत्तों की नसबंदी (Sterilisation) करना ही इस समस्या का एकमात्र और प्रभावी समाधान है। उन्होंने कहा था कि अगर नसबंदी ठीक से की जाए, तो एक साल के भीतर आवारा कुत्तों की संख्या 50% तक कम हो सकती है।
कोर्ट ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा था कि आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे नागरिकों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। कोर्ट ने नगर निगम को नसबंदी कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया था।
न्यायाधीश की यह टिप्पणी न केवल इस गंभीर मुद्दे को हल्के-फुल्के अंदाज में उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कोर्ट इस समस्या को कितनी गंभीरता से ले रही है और इसके स्थायी समाधान पर जोर दे रही है।