लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक फर्जी आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है, जो पिछले कई सालों से लग्जरी गाड़ियों, नीली बत्ती और अफसरों वाला रुतबा दिखाकर लोगों से ठगी कर रहा था। पुलिस ने इस जालसाज को एक छोटी सी गलती के कारण रंगे हाथों पकड़ा, जिसने उसकी पूरी पोल खोल दी।
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कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी का नाम सौरभ त्रिपाठी है। वह खुद को एक आईएएस अधिकारी बताता था और सरकार से जुड़ी बैठकों में हिस्सा लेने का दावा करता था। उसके पास कई लग्जरी गाड़ियां थीं, जिन पर अवैध रूप से नीली बत्ती और सरकारी पास लगे थे। उसने फर्जी आईएएस पहचान पत्र, सचिवालय के पास और यहां तक कि फर्जी एनआईसी ईमेल आईडी भी बना रखी थी, जिससे वह लोगों को आसानी से अपने झांसे में ले लेता था। वह लोगों से नौकरी दिलाने, ट्रांसफर करवाने और अन्य सरकारी काम करवाने के नाम पर मोटी रकम ऐंठता था।
एक छोटी गलती और पुलिस के जाल में फंसा
पुलिस ने बताया कि इस जालसाज की पोल तब खुली जब वह एक नियमित वाहन जांच के दौरान पकड़ा गया। वजीरगंज थाना प्रभारी राजेश कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में पुलिस टीम कारगिल शहीद पार्क के पास वाहनों की जांच कर रही थी। तभी एक लग्जरी कार को रोका गया। कार की पिछली सीट पर बैठे सौरभ त्रिपाठी ने खुद को आईएएस अधिकारी बताकर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की। उसने अपना फर्जी पहचान पत्र और विजिटिंग कार्ड भी दिखाया।
पुलिस को उसके हाव-भाव और बातचीत पर शक हुआ। जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की और उसके दस्तावेजों की गहन जांच की, तो पता चला कि सभी दस्तावेज नकली थे। तलाशी लेने पर पुलिस को गाड़ी से एक लाल-नीली बत्ती भी मिली। पूछताछ में सौरभ त्रिपाठी घबरा गया और वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लेकर धमकाने लगा। आखिरकार, जब पुलिस ने और सख्ती बरती, तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
पुलिस ने आरोपी के पास से डिफेंडर, फॉर्च्यूनर और इनोवा जैसी छह लग्जरी गाड़ियां, लैपटॉप, मोबाइल फोन, नकदी और भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। पुलिस का मानना है कि उसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हो सकता है और वह लंबे समय से यह फर्जीवाड़ा कर रहा था।