दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए नक्सलियों को दो टूक और अंतिम चेतावनी दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि अब सरकार के पास बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं है और नक्सलियों के पास हथियार डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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छत्तीसगढ़ और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों और सुरक्षाबलों के साथ उच्च-स्तरीय बैठक के बाद शाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हमने नक्सलवाद की कमर तोड़ने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। अब नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में है। जो लोग भटक गए हैं, उन्हें मैं सीधे तौर पर चेतावनी देता हूं: ‘अब बात करने को कुछ नहीं, हथियार डालने ही होंगे।’ अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो सुरक्षा बल अपने काम को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं।”
सरकार का स्पष्ट संदेश: ‘विकास या विनाश’
गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार शांति और विकास के रास्ते पर चल रही है, लेकिन हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- सरेंडर पॉलिसी पर जोर: अमित शाह ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे आत्मसमर्पण (Surrender) करने वाले नक्सलियों के लिए बनी पुनर्वास नीतियों (Rehabilitation Policies) को सख्ती से लागू करें, ताकि आत्मसमर्पण करने वालों को समाज की मुख्यधारा में लौटने में मदद मिल सके।
- विकास का एजेंडा: उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ-साथ अब उन इलाकों में तेजी से स्कूल, सड़कें, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं, जहां पहले नक्सलियों का प्रभाव था। सरकार का लक्ष्य है कि इन क्षेत्रों में विकास की गति को और तेज किया जाए।
- सुरक्षा ग्रिड मजबूत: बैठक में केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस के बीच समन्वय (Coordination) को और मजबूत करने पर सहमति बनी, ताकि बचे हुए नक्सली ठिकानों को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके।
गृह मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल के महीनों में छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा के सीमावर्ती इलाकों में कई बड़े ऑपरेशन सफल हुए हैं और बड़ी संख्या में शीर्ष नक्सली कमांडर या तो मारे गए हैं या उन्होंने आत्मसमर्पण किया है। शाह की इस अंतिम चेतावनी को सुरक्षा बलों द्वारा आक्रामक और निर्णायक कार्रवाई करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।