काठमांडू: नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम देश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सामने आया है। युवाओं के ‘Gen-Z आंदोलन’ को उनका समर्थन मिला है। सूत्रों के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद, Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने एक वर्चुअल बैठक बुलाई, जिसमें 5000 से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया और सुशीला कार्की को अंतरिम नेता के रूप में सबसे अधिक समर्थन मिला।
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बीएचयू की छात्रा रह चुकी हैं सुशीला कार्की
सुशीला कार्की का भारत से गहरा नाता है। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की पूर्व छात्रा हैं, जहां उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। उनके भारत में पढ़ाई करने से भारत-नेपाल संबंधों में और मजबूती आने की उम्मीद है। वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी रह चुकी हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं।
केपी ओली ने हिंसा को बताया साजिश
वहीं, प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, केपी शर्मा ओली ने देश में फैली हिंसा को एक साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें युवाओं के विरोध को भड़का रही हैं। हालांकि, Gen-Z आंदोलनकारियों ने ओली सरकार पर भ्रष्टाचार और गैर-जिम्मेदारता के आरोप लगाए हैं, जिसके चलते देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए।
क्यों हो रहे हैं ये प्रदर्शन?
नेपाल में यह आंदोलन एक छोटे से हादसे से शुरू हुआ था, जिसमें एक मंत्री की कार से एक बच्ची की मौत हो गई थी और आरोपी ड्राइवर को तुरंत छोड़ दिया गया था। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली ने इसे एक छोटी बात कहकर टाल दिया था, जिससे लोगों में, खासकर युवाओं में, गुस्सा और बढ़ गया। इसके बाद सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने आग में घी का काम किया, और Gen-Z के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया।
अगली सरकार की चुनौतियां
ओली के इस्तीफे के बाद, नेपाल एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता के दौर में आ गया है। पिछले 17 वर्षों में नेपाल में 14 सरकारें बन चुकी हैं। अब सुशीला कार्की के सामने एक स्थिर सरकार बनाने और Gen-Z के भरोसे को कायम रखने की बड़ी चुनौती होगी।