इस्लामाबाद/मुजफ्फराबाद: पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में कई दिनों से चल रहे हिंसक और व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार आखिरकार घुटनों पर आ गई है। सरकार और प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी (JAAC) के बीच 25 बिंदुओं पर सहमति बन गई है, जिसके बाद आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी गई है।
Karur stampede case: CBI जांच नहीं मिलेगी, करूर हादसे पर मदुरै हाईकोर्ट की दो टूक
संसदीय कार्य मंत्री तारिक फजल चौधरी ने शनिवार को इस समझौते की पुष्टि करते हुए बताया कि उच्च-स्तरीय सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने प्रदर्शनकारियों के साथ अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और सड़कें फिर से खोल दी गई हैं।
समझौते के मुख्य बिंदु
प्रदर्शनकारियों ने महंगाई, बिजली की अत्यधिक दरों और स्थानीय संसाधनों पर पाकिस्तान के नियंत्रण के खिलाफ 38 सूत्रीय मांगपत्र जारी किया था, जिनमें से प्रमुख 25 मांगों पर सरकार ने सहमति दे दी है। समझौते के प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:
- बिजली दरों में कमी: पीओके में बिजली की दरों को कम करने और स्थानीय स्तर पर उत्पादित बिजली की लागत को नियंत्रित करने पर सहमति बनी है।
- आटे पर सब्सिडी: आवश्यक वस्तुओं, खासकर आटे पर सब्सिडी बहाल करने और महंगाई कम करने की मांग मानी गई है।
- मुआवजा और नौकरी: हिंसा के दौरान मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिवारों को सरकारी कर्मचारियों के बराबर मुआवजा दिया जाएगा और उनके एक सदस्य को 20 दिनों के भीतर सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया है।
- न्यायिक जांच: प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा और मामले की न्यायिक जांच होगी।
- विकास निधि: पीओके में बिजली व्यवस्था के सुधार और विकास कार्यों के लिए संघीय सरकार द्वारा 10 अरब पाकिस्तानी रुपये जारी किए जाएंगे।
कई दिनों तक चले इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसक झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। सरकार द्वारा बल प्रयोग, इंटरनेट ब्लैकआउट और गिरफ्तारी के बावजूद, आंदोलनकारियों ने अपना प्रदर्शन जारी रखा, जिससे अंततः इस्लामाबाद को झुकना पड़ा।