वाराणसी, 18 सितंबर 2025: बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और दिव्य शक्ति वाले कथावाचक प्रेमानंद महाराज के बीच चल रही वैचारिक जंग अब और तेज होती जा रही है। इस विवाद में अब जगद्गुरु शंकराचार्य परिषद् के प्रमुख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद खुलकर प्रेमानंद महाराज के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,
“ये तुम्हारे गुरु की परंपरा नहीं, तुम्हारी अपनी कल्पनाएं हैं। धर्म को तमाशा मत बनाओ।”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के प्रति भी आस्था प्रकट करते हुए कहा कि “जो सनातन धर्म की शुद्ध परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, वे ही हमारे मार्गदर्शक हैं।” उन्होंने बिना नाम लिए बागेश्वर धाम की शैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि धर्म का मंच ‘चमत्कार दिखाने का अखाड़ा’ नहीं है, बल्कि साधना, ज्ञान और त्याग का स्थान है।
क्या है पूरा विवाद?
धीरेंद्र शास्त्री और प्रेमानंद महाराज के बीच पिछले कुछ समय से धर्म की व्याख्या, चमत्कारों और सनातन परंपरा को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया से शुरू हुआ यह टकराव अब संत समाज में दो धड़ों के रूप में दिखाई देने लगा है।
अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान:
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“गुरु-शिष्य परंपरा को तोड़ने की कोशिश हो रही है।”
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“धर्म को व्यवसाय और चमत्कार से जोड़ना अनुचित है।”
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“शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती सनातन धर्म के सच्चे रक्षक हैं।”
संत समाज में हलचल
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के इस बयान के बाद संत समाज में चर्चा और तेज हो गई है। जहां एक पक्ष धीरेंद्र शास्त्री को युवा धर्मगुरु मान रहा है, वहीं दूसरा पक्ष उन्हें सनातन परंपरा से भटकता हुआ बता रहा है।