जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में हाल ही में हुए एक भीषण मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। इस सफल ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया था। अब सेना के एक वरिष्ठ कमांडर ने इस ऑपरेशन के पीछे की रणनीति और अंदरूनी जानकारी साझा की है, जिससे पता चलता है कि कैसे सेना ने इन आतंकियों का सफाया किया।

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ऑपरेशन की शुरुआत

कमांडर के अनुसार, राजौरी के दरहाल इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली थी। यह जानकारी मिलने के बाद, सेना ने तुरंत एक विशेष टीम को इलाके में भेजा। यह क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिससे आतंकियों को छिपने में आसानी होती है।

रणनीतिक घेराबंदी और रणनीति

सेना के कमांडो ने पूरे इलाके को घेर लिया। कमांडर ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती थी आतंकियों को सटीक रूप से ढूंढना, क्योंकि वे लगातार अपनी जगह बदल रहे थे। सुरक्षा बलों ने आधुनिक तकनीक, जैसे ड्रोन और थर्मल इमेजिंग कैमरों का इस्तेमाल किया, ताकि रात के अंधेरे में भी उनकी हरकतों पर नजर रखी जा सके।

  • साइलेंट अप्रोच: कमांडर ने बताया कि टीम ने ‘साइलेंट अप्रोच’ का इस्तेमाल किया। बिना किसी शोर के, जवान घने जंगलों में आगे बढ़े, जिससे आतंकियों को उनके आने की भनक तक नहीं लगी।
  • सटीक निशाना: जब आतंकियों को घेर लिया गया, तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। भारतीय जवानों ने जवाबी कार्रवाई में बेहद सटीक निशाना साधा। कमांडर ने बताया कि जवानों ने धैर्य रखा और आतंकियों के हर हमले का मुहतोड़ जवाब दिया।

सफलता का कारण

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का मुख्य कारण था बेहतर समन्वय और प्लानिंग। सेना के साथ-साथ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों ने भी इसमें सहयोग किया। कमांडर ने बताया कि ‘वन-टू-वन’ रणनीति अपनाई गई, जिसमें हर आतंकवादी पर एक जवान की नजर थी। यह रणनीति काफी जोखिम भरी होती है, लेकिन इससे सुनिश्चित हुआ कि कोई भी आतंकी बचकर न निकल पाए।

लगातार 36 घंटे से अधिक समय तक चले इस ऑपरेशन में आखिरकार तीन आतंकियों को मार गिराया गया। कमांडर ने कहा कि यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने की सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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Alok Kumar Srivastava
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