नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। हालांकि, यह टैक्स उन कंपनियों पर नहीं लगेगा जो अमेरिका में ही दवा बनाने का प्लांट स्थापित कर रही हैं।
ट्रम्प ने कहा कि अगर कोई कंपनी अमेरिका में दवा निर्माण का कंस्ट्रक्शन शुरू कर रही है, तो उन दवाओं पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा। पहले ही अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया था, जिससे कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर और सी फूड जैसी भारतीय एक्सपोर्ट वस्तुएं महंगी हो गई थीं।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत जेनेरिक दवाओं का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है। 2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 8.73 अरब डॉलर (करीब 77 हजार करोड़ रुपए) की दवाइयां भेजीं, जो भारत के कुल दवा एक्सपोर्ट का करीब 31% थी। भारत की बड़ी फार्मा कंपनियां जैसे डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा और ल्यूपिन न सिर्फ जेनेरिक, बल्कि कुछ पेटेंट वाली दवाएं भी अमेरिका को एक्सपोर्ट करती हैं।
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ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में अंतर:
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ब्रांडेड दवा: यह ओरिजिनल दवा होती है, जिसे किसी फार्मा कंपनी ने रिसर्च और भारी खर्च के बाद बनाया होता है। इसे बनाने वाली कंपनी को आमतौर पर 20 साल का पेटेंट अधिकार मिलता है। कीमत अधिक होती है।
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जेनेरिक दवा: यह वही दवा है जिसका पेटेंट खत्म हो चुका होता है। रिसर्च का खर्च नहीं उठाना पड़ता, इसलिए कीमत ब्रांडेड दवा की तुलना में 80%-90% कम होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले का भारत की फार्मास्यूटिकल कंपनियों और स्टॉक्स पर भावनात्मक असर पड़ सकता है। साथ ही, ट्रम्प अगला निशाना जेनेरिक दवाओं पर भी बना सकते हैं।