अयोध्या: अयोध्या में बाबरी मस्जिद के बदले सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी गई 5 एकड़ जमीन पर बनने वाली नई मस्जिद का नक्शा खारिज हो गया है। इस जमीन पर ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ और एक अस्पताल बनाने की योजना थी, लेकिन 6 साल बाद भी 8 विभागों से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं मिल सका है। इस कारण अयोध्या विकास प्राधिकरण ने इस नक्शे को खारिज कर दिया है।
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अटका है NOC का पेंच
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद धन्नीपुर गांव में मिली इस जमीन पर मस्जिद, अस्पताल, रिसर्च सेंटर और सामुदायिक रसोईघर बनाने के लिए मस्जिद ट्रस्ट ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ (IICF) ने नक्शा जमा किया था। इस नक्शे को पास कराने के लिए बिजली विभाग, अग्निशमन सेवा, एयरपोर्ट अथॉरिटी, राजस्व विभाग सहित कुल 8 विभागों से NOC लेनी थी। ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने इन विभागों से कई बार संपर्क किया, लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया।
क्या कहते हैं अधिकारी?
अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने बताया कि आवेदन की मियाद पूरी हो जाने के बाद नियमों के तहत नक्शा खारिज कर दिया गया है। ट्रस्ट को अब नए सिरे से आवेदन करना होगा। IICF के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि वे सभी विभागों से एनओसी लेने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और जल्द ही दोबारा नया नक्शा जमा करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल और मस्जिद के लिए पैसा जुटाने में भी दिक्कत आ रही है।
लागत बढ़कर हुई दोगुनी
शुरुआती अनुमान के मुताबिक, मस्जिद और अस्पताल बनाने का खर्च करीब 300 करोड़ रुपये था, लेकिन 6 साल की देरी और महंगाई के चलते अब यह लागत दोगुनी होकर 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अभी तक केवल 50 लाख रुपये ही जुटाए जा सके हैं।
इस देरी के कारण अयोध्या में राम मंदिर की भव्यता के मुकाबले मस्जिद का निर्माण अभी भी अधर में लटका हुआ है। यह मामला दिखाता है कि किस तरह प्रशासनिक और वित्तीय चुनौतियां एक बड़े प्रोजेक्ट के रास्ते में आ सकती हैं।