दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ( ) ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम ( ) को पूरी तरह लागू करने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए नियम और अधिसूचनाएँ क्यों नहीं जारी की गई हैं।

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यह मामला एक जनहित याचिका () पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें शिकायत की गई थी कि को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने और इसकी धारा लागू होने के बावजूद, इसके मुख्य प्रावधान अभी तक लागू नहीं हो पाए हैं।

न्यायालय ने मांगी

मुख्य न्यायाधीश [उस समय के मुख्य न्यायाधीश का नाम] और न्यायमूर्ति [उस समय के न्यायाधीश का नाम] की खंडपीठ ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय () को नोटिस जारी करते हुए के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति ( ) और समयरेखा () पेश करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि देश में निजता () और डेटा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है, लेकिन इसके नियम और विनियम न होने के कारण यह एक निष्प्रभावी कानून बना हुआ है।

क्यों है नियमों का जारी होना जरूरी?

में डेटा उल्लंघन पर भारी जुर्माने और नागरिकों को उनके व्यक्तिगत डेटा पर नियंत्रण देने जैसे कड़े प्रावधान हैं। हालाँकि, ये सभी प्रावधान तभी लागू हो सकते हैं, जब सरकार के तहत विस्तृत नियम () और अधिसूचनाएँ जारी करे, जिसमें यह बताया जाए कि कानून को जमीन पर कैसे लागू किया जाएगा, और डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन कैसे होगा।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया है। निजता के अधिकार से जुड़े इस महत्वपूर्ण कानून को लेकर अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार के जवाब पर टिकी हुई हैं।

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Alok Kumar Srivastava
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