रिपोर्ट 🔹 मुहम्मद इस्माइल
मथुरा/आगरा । न्यायपालिका, वन विभाग, पुलिस और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों के लगभग 100 अधिकारी वन्यजीव अपराध, जांच और अभियोजन कार्यशाला के दूसरे संस्करण के लिए मथुरा में एकत्रित हुए, जिसका आयोजन वाइल्डलाइफ एसओएस ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ साझेदारी में किया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहयोगात्मक सहभागिता और केंद्रित प्रशिक्षण के माध्यम से वन्यजीव अपराध और तस्करी पर रोकथाम के लिए कानूनी और जांच क्षमताओं को बेहतर बनाना और मजबूत करना रहा। वरिष्ठ कानूनी पेशेवर, वन विभाग के अधिकारियों और प्रवर्तन अधिकारियों ने एक पूरे दिन की कार्यशाला में भाग लिया, जिसमें वन्यजीव कानून प्रवर्तन में सुधार के लिए व्यावहारिक चुनौतियों और प्रभावी समाधानों पर चर्चा की गई।
मथुरा में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री सी.डी. सिंह और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री सिद्धार्थ लूथरा, श्री विनोद सिंह रावत, प्रमुख सचिव (लॉ) एवं विधि, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ द्वारा औपचारिक स्वागत और उद्घाटन के साथ हुई।
अपने संबोधन में, गणमान्य व्यक्तियों ने कानूनी स्पष्टता, कुशल केसवर्क और अंतर-एजेंसी समन्वय की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। विषयों में साक्ष्य प्रक्रियाओं और परीक्षण में देरी से लेकर वन्यजीव अपराध स्थलों में आधुनिक फोरेंसिक की भूमिका तक शामिल थी।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने वाइल्डलाइफ एसओएस के फील्ड ऑपरेशन से प्रमुख केस स्टडीज़ प्रस्तुत कीं, जिसमें तस्करी के पैटर्न, प्रवर्तन में कमियों और वन्यजीव आपात स्थितियों के लिए त्वरित कानूनी प्रतिक्रिया के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
सत्रों में श्री संग्राम सिंह कटियार, आईएफएस, सरिस्का टाइगर रिजर्व के निदेशक, डॉ. सी.पी. शर्मा, भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रधान तकनीकी अधिकारी, श्री सर्वेश कुमार, अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता फोरम एवं रिटायर्ड जिला न्यायाधीश, आगर के साथ वरिष्ठ सरकारी अभियोजकों और कानूनी सलाहकारों की अंतर्दृष्टि भी शामिल रहे। प्रस्तुतकर्ताओं ने मजबूत केस-बिल्डिंग, समन्वित जांच और अदालतों में वन्यजीव अपराध के अभियोजन के तरीके की बेहतर समझ के माध्यम से सजा दरों में सुधार पर बात की।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, श्री सी.डी. सिंह ने कहा, “यह कार्यशाला कानूनी सिद्धांत को क्षेत्र-स्तरीय अनुप्रयोग के साथ जोड़ती है। यह हमारे प्रवर्तन अधिकारियों को जटिल वन्यजीव अपराधों से सहानुभूति और विशेषज्ञता के साथ निपटने के लिए विकसित कानूनी प्रक्रियाओं और व्यावहारिक रणनीतियों पर खुद को अपडेट करने का एक बहुत जरूरी अवसर देता है।”
श्री सिद्धार्थ लूथरा, वरिष्ठ अधिवक्ता, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “वन्यजीव अपराधों के पीछे क्रूरता और व्यावसायीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना एक अधिक मानवीय समाज के निर्माण की कुंजी है। इस कार्यशाला ने इस बात पर प्रकाश डालने में मदद की कि हम करुणा को बढ़ावा देते हुए इन मुद्दों पर कानूनी और सामाजिक रूप से कैसे प्रतिक्रिया दे सकते हैं। मैंने ऐसे केस उदाहरण साझा किए जो दर्शाते हैं कि कैसे समय पर कानूनी हस्तक्षेप संकट में फंसे जानवरों के लिए वास्तविक अंतर ला सकता है।”
सरिस्का टाइगर रिज़र्व के निदेशक, आईएफएस, श्री संग्राम सिंह कटियार ने कहा, “ऐसे प्लेटफॉर्म हमारी टीमों को वास्तविक दुनिया के प्रवर्तन के लिए बेहतर ढंग से तैयार करते हैं, जिससे उन्हें साक्ष्य प्रबंधन और अभियोजन प्रोटोकॉल के बारे में अधिक आत्मविश्वास मिलता है।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “कार्यशाला में मौजूद सामूहिक ज्ञान और जुनून प्रेरणादायक था। इस कार्यशाला ने वन्यजीव अपराध से लड़ने में सहयोग के महत्व की पुष्टि की, और मैं इसकी सफलता में योगदान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति का आभारी हूं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, कानूनी, वन और प्रवर्तन प्रणालियों को इस तरह एक साथ आते देखना बेहद उत्साहजनक है। ये प्रयास लुप्तप्राय वन्यजीवों की रक्षा करने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए महत्वपूर्ण हैं।