मुंबई की अपराध की दुनिया में ‘डैडी’ के नाम से मशहूर अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली आज 17 साल बाद नागपुर की सेंट्रल जेल से रिहा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद गवली की रिहाई हुई। वह शिवसेना के नगरसेवक कमलाकर जामसंडेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। यह फैसला उसकी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आया है, जिससे मुंबई के अंडरवर्ल्ड के इतिहास का एक अध्याय समाप्त हो गया है।

PM के बयान पर भावुक हुआ मंच: बिहार BJP अध्यक्ष की भी भर आई आंखें

कौन है अरुण गवली?

अरुण गुलाब अहीर, जिसे दुनिया अरुण गवली के नाम से जानती है, का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ था। गरीबी के चलते उन्होंने शुरुआती जीवन में दूध बेचने का काम किया। 1980 के दशक में, वह रामा नाइक और बाबू रेशिम के साथ मिलकर ‘बीआरए गैंग’ का हिस्सा बन गए। इस गैंग ने मुंबई के दगड़ी चॉल को अपना गढ़ बनाया और वसूली, फिरौती और तस्करी जैसे अपराधों में अपना सिक्का जमाया।

दाऊद से दुश्मनी और ‘डैडी’ का उदय

शुरुआत में गवली का गैंग दाऊद इब्राहिम के लिए काम करता था, लेकिन 1988 में एक पुलिस एनकाउंटर में रामा नाइक के मारे जाने के बाद गवली को शक हुआ कि यह दाऊद की मुखबिरी का नतीजा था। इसके बाद गवली और दाऊद के बीच गहरी दुश्मनी हो गई। इस दुश्मनी के कारण मुंबई में कई गैंगवार हुए। 90 के दशक में जब दाऊद गैंग के लोग दुबई भाग गए, तब गवली मुंबई में ही रहा और उसका दबदबा और बढ़ गया। वह अपने इलाके के लोगों के लिए ‘डैडी’ बन गया और उसने गरीबों की मदद कर एक अलग छवि बनाई।

अपराध से राजनीति तक का सफर

1990 के दशक में पुलिस एनकाउंटर से बचने और अपनी छवि सुधारने के लिए गवली ने राजनीति में कदम रखा। उसने ‘अखिल भारतीय सेना’ नाम की अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई। 2004 में, वह मुंबई की चिंचपोकली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इससे उन्हें एक अपराधी से राजनेता का दर्जा मिला।

कमलाकर जामसंडेकर हत्याकांड

अरुण गवली को 2008 में शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसंडेकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उन पर ₹30 लाख की सुपारी लेकर हत्या करवाने का आरोप था। 2012 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसे बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा। इसके बाद उन्हें नागपुर की सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहाँ उन्होंने 17 साल की सजा काटी।

सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आज गवली को जेल से रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई के समय जेल के बाहर उनके समर्थक और परिवार के लोग मौजूद थे।

Share.

Alok Kumar Srivastava
Chief Editor

Address :    104, Bharsar, District – Ghazipur, Uttar Pradesh – 233300

Mobile        +91-98388 99305
Email        prabhatdarshan25@gmail.com

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  

© 2025 prabhatdarshan.com 

Exit mobile version