पेरिस: नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद अब फ्रांस भी सरकार विरोधी प्रदर्शनों की आग में जल रहा है। “ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन के तहत देश भर में करीब 1 लाख लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इन प्रदर्शनों का मुख्य कारण सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में भारी कटौती और आर्थिक नीतियां हैं। हालात को काबू में करने के लिए सरकार ने 80 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया है और 300 से अधिक उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है।
बजट कटौती और आर्थिक नीतियां बनी वजह
फ्रांस में यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार के खिलाफ हो रहा है। प्रदर्शनकारी सरकार की उन नीतियों से नाराज हैं, जिनमें 44 अरब यूरो की कटौती की बात कही गई है। लोगों का मानना है कि इस कटौती से आम लोगों, खासकर कामकाजी वर्ग को नुकसान होगा, क्योंकि इससे सैलरी और पेंशन प्रभावित हो सकती है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कटौती देश के बढ़ते कर्ज को कम करने के लिए जरूरी है।
हिंसा और आगजनी, जनजीवन अस्त-व्यस्त
राजधानी पेरिस समेत कई प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया, कचरे के डिब्बे जलाए और पुलिस से जमकर झड़प की। कई जगहों पर आगजनी की खबरें भी सामने आई हैं। इन प्रदर्शनों की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट, स्कूल और दफ्तरों में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
नेपाल से तुलना और सोशल मीडिया का प्रभाव
फ्रांस में हो रहे इन प्रदर्शनों की तुलना नेपाल के “Gen-Z आंदोलन” से की जा रही है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से संगठित हुआ था। फ्रांस में भी “ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और टेलीग्राम चैनलों के जरिए बढ़ावा दिया गया। यह दर्शाता है कि आज के दौर में युवा डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके सरकारों के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।
फ्रांस में लगातार बदलती सरकारें और राजनीतिक अस्थिरता ने भी लोगों के गुस्से को बढ़ाया है। राष्ट्रपति मैक्रों पर उनके विरोधियों द्वारा इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है, जिससे आने वाले दिनों में देश की राजनीतिक स्थिति और भी नाजुक हो सकती है।