दिल्ली: नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट और हिंसक विद्रोह पर भारत में भी चिंता जताई जा रही है। एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने राष्ट्रपति-गवर्नर डेडलाइन केस की सुनवाई के दौरान नेपाल की स्थिति का हवाला दिया। CJI ने कहा, “हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए पड़ोसी देशों में क्या हाल है।” उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब नेपाल में जन-प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है और राजनीतिक अस्थिरता चरम पर है।
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नेपाल में क्यों भड़की हिंसा?
नेपाल में यह विद्रोह “Gen-Z आंदोलन” के रूप में शुरू हुआ, जो एक मंत्री की कार से हुई एक बच्ची की मौत और उसके बाद ड्राइवर की तत्काल रिहाई के बाद भड़का। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस घटना को “छोटी बात” कहकर टाल दिया था, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ गया। इसके बाद, सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने आग में घी का काम किया, क्योंकि युवा इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए कर रहे थे।
17 साल में 14 सरकारें, चरम पर अस्थिरता
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का लंबा इतिहास रहा है। 2008 में राजशाही के खात्मे के बाद से देश में 17 सालों में 14 सरकारें बदल चुकी हैं, और कोई भी सरकार अपना पूरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है। इस हालिया विद्रोह के बाद, प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों को भी आग के हवाले कर दिया है।
भारत पर प्रभाव और सीमा पर अलर्ट
नेपाल में हुई इस हिंसा और अस्थिरता का असर भारत पर भी पड़ रहा है। विदेश मंत्रालय ने नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर उन्हें सतर्क रहने की सलाह दी है। इसके अलावा, भारत-नेपाल सीमा पर भी हाई अलर्ट जारी किया गया है क्योंकि कुछ कैदियों ने जेल तोड़कर भागने की कोशिश की, और कुछ को भारतीय सीमा में घुसते हुए पकड़ा भी गया है।
CJI की टिप्पणी ने इस बात को फिर से रेखांकित किया है कि भारत का मजबूत संवैधानिक ढाँचा और लोकतांत्रिक संस्थाएं कितनी महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब पड़ोसी देशों में इस तरह की अराजकता का माहौल हो।